Monday, 30 October 2017

छोटी पर ज़िद्दी जरूर हूँ मैं।

छोटी पर ज़िद्दी जरूर हूँ मैं।

इक नन्ही सी बूँद सही
छोटी पर ज़िद्दी जरूर हूँ मैं।
हिम्मत की हूँ मैं परछाईं
मेहनत का गहरा सुरूर हूँ मैं। 
कमज़ोर नहीं मैं सागर से
उसका ही प्यारा वजूद हूँ मैं।
उछलूँ  के अम्बर को छू लूँ 
खाबों का ऐसा फितूर हूँ मैं।
सागर की गोद में लहराऊँ
 हस्ती भी खोकर मगरूर हूँ मैं।
सीमाएँ कुछ हैं लांघीं पर  
मुजरिम नहीं बेकसूर हूँ मैं।

---ऋतु अस्थाना  
   

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