Thursday, 5 October 2017

चाँद को क्या मालूम

चाँद है बेखबर 


चाँद है बेखबर ,
कि कोई है  
जो चाहे उसे।  
कोई पूजे  
कोई निहारे उसे।  
कोई दिल के 
हर कतरे से 
टूट कर 
माँगे तुझे। 
ये इकतरफा 
इश्क 
हर पल यूँ सताएगा। 
न मिल सकेंगे 
दो दिल 
ये  मिलन
 अधूरा ही 
रह जाएगा।   
ख़्वाबों का  
सिलसिला ये   
न थमा है 
न थमने पाएगा।   
तू मेरा हो 
न हो पर 
चाहत तो 
रहेगी सदा।   
साँसों में सांस है 
जब तलक 
हर आस ये 
कहेगी सदा।  
नाता रूहानी  
मेरा तुझसे है 
तुझसे ही रहेगा सदा ।  
तू मेरा हो न हो 
दिल ये तेरा था 
तेरा  है 
तेरा ही रहेगा सदा।  
तेरा ही रहेगा सदा। 


------ ऋतु अस्थाना 

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