Thursday, 5 October 2017


 ज़िंदगी 


ज़िन्दगी आसान,
 होती नहीं,
बनानी ही पड़ती है। 
गम की ये टोकरी ,
सिर पे हंसकर,
उठानी ही पड़ती है। 
चुनौती कैसी भी ,
कोई भी आ जाए ।  
करो तुम सामना ,
निर्भीक होकर। 
हंसो खिलखिलाओ ,
कि अपना ही जहाँ है। 
 हर पल यूँ जियो , 
कि जैसे जीवन नया है।  
चाल हो, अंदाज़ हो। 
जीने में कुछ अलग ही ,
  कुछ बात हो। 
दिवाली हर रोज़ ,
कुछ यूँ  मनाओ। 
कि दरिया प्यार का, 
इस कदर बहाओ। 
हर तरफ प्यार की ,
बरसात हो।  
बनो दीपक कि, 
रोशन जहाँ हो ।  
तेल हो ललकार का , 
हो हिम्मत की बाती। 
होगी दूर हर मुश्किल ,
ये आस तो ,
 लगानी ही पड़ती है।  
सुबह के इंतज़ार ,
में ऐ यारा ,
रात सब्र से ,
बितानी ही पड़ती है 
ज़िन्दगी आसान,
होती नहीं ,
बनानी ही पड़ती है। 
गम की ये टोकरी, 
 सिर पे हंसकर ,
उठानी ही पड़ती है। 
गम की ये टोकरी,
 सर पे हंसकर ,
उठानी ही पड़ती है।  
         
------------ ऋतु अस्थाना 


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