ज़िंदगी
ज़िन्दगी आसान,
होती नहीं,
बनानी ही पड़ती है।
गम की ये टोकरी ,
सिर पे हंसकर,
उठानी ही पड़ती है।
चुनौती कैसी भी ,
कोई भी आ जाए ।
करो तुम सामना ,
निर्भीक होकर।
हंसो खिलखिलाओ ,
कि अपना ही जहाँ है।
हर पल यूँ जियो ,
कि जैसे जीवन नया है।
चाल हो, अंदाज़ हो।
जीने में कुछ अलग ही ,
कुछ बात हो।
दिवाली हर रोज़ ,
कुछ यूँ मनाओ।
कि दरिया प्यार का,
इस कदर बहाओ।
हर तरफ प्यार की ,
बरसात हो।
बनो दीपक कि,
रोशन जहाँ हो ।
तेल हो ललकार का ,
हो हिम्मत की बाती।
होगी दूर हर मुश्किल ,
ये आस तो ,
लगानी ही पड़ती है।
सुबह के इंतज़ार ,
में ऐ यारा ,
रात सब्र से ,
बितानी ही पड़ती है
ज़िन्दगी आसान,
होती नहीं ,
बनानी ही पड़ती है।
गम की ये टोकरी,
सिर पे हंसकर ,
उठानी ही पड़ती है।
गम की ये टोकरी,
सर पे हंसकर ,
उठानी ही पड़ती है।
------------ ऋतु अस्थाना
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