जब उसने बनाया था इंसान
जब उसने बनाया था इंसान ,
दिया एक प्यारा सा उसे दिल।
न था तब धर्म-जाति का भेद ,
प्रेम से रहते सब हिल-मिल।
इंसान ने बनाए जब धर्म अनेक ,
बची न मानवता अब शेष।
खाक में मिला कर अपना विवेक,
बाँट दिए अपने सच्चे पिता विशेष।
क्या होगा इस धरती का अब ,
दिन ऐसा भी एक आएगा ।
न मंदिर में मिलेंगे भगवान ,
और न होंगे मस्जिद में रहमान।
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