Wednesday, 3 June 2015

हर सांस में इक आस सी जगाती है ज़िदगी ,




हर सांस में इक आस सी जगाती है ज़िदगी 


हर सांस में इक आस सी जगाती है ज़िदगी ,

अंधेरों में किरण बन कर मुस्काती है ज़िन्दगी।

कि  बांटो प्यार और खुशियां मनाओ ,

किसी के अश्क पोंछो और हंसाओं।

किसी के वास्ते गर मिटना पड़े तो ,

ये वादा इश्क का दिल से निभाओ।

इसी रफ़्तार से बढ़ते रहे गर ,

अंदाज़ पे तेरे फिर गुनगुनाती है ज़िन्दगी।

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