Friday, 9 October 2015

कोई तो रास्ता ऐ मेरे मालिक दिखा दे।






कोई तो रास्ता ऐ मेरे मालिक दिखा दे। 






कोई तो रास्ता ऐ मेरे मालिक, दिखा दे। 
शम्मा प्रेम की  दिल में, उनके भी जला दे। 

नजर उसमें है आता, ऐ खुदा ,अब तू ही तू है । 
अब वो ही मेरी किस्मत है , मेरी वो  जुस्तजू है । 

नाम उन के जब से लिखी , ये जिंदगी है । 
होती नहीं इस दिल से , तेरी अब बंदगी है ।

दिल को चैन आता है, जब  इबादत उसकी करता हूँ। 
उसी के नाम पर जीता, नाम पर उस के ही मरता हूँ ।  

दिल के आशियाने में , रोज़ उनको बैठा कर। 
सजदा किए दिन रात, उनकी हर अदा पर।

गुनाह मैं आज ये करता हूँ, करता ही रहूँगा। 
उसी के नाम पर मरता हूँ, औ मरता ही रहूँगा। 

गुनाहों की भी सजा में,  जो भी मेरा हश्र होगा। 
कि एक रोज़ तो  पत्थर, पिघलकर  मोम  होगा। 

मंदिर का घंटा बजाऊँ, या कभी मस्जिद में जाऊँ। 
किसी भी धर्म को पूजूँ, खुदा  तुझको मनाऊँ। 

कोई तो रास्ता ऐ मेरे, मालिक दिखा दे। 
शम्मा प्रेम की  दिल मेंउनके  भी जला दे। 

कोई तो रास्ता ऐ मेरे, मालिक दिखा दे। 
शम्मा प्रेम की  दिल में , उनके  भी जला दे। 







No comments:

Post a Comment