Wednesday, 21 October 2015


मन का रावण नहीं जलाते हैं।


हर साल जलाते रावण पर ,
मन का रावण नहीं जलाते हैं। 
हर बरस जो  होता है पैदा ,
बुराइयों को नहीं दफनाते हैं। 

घंटा मंदिर का बजा-बजा ,
नित राम को तो जगाते  हैं।
भीतर का रावण पाल सदा  ,
हम गीत ख़ुशी के गाते हैं। 

 बुराई का जब रावण दहन होगा , 
तब राम हृदय में आएँगे। 
सबकी आँखों में प्यार बन ,
वो मंद-मंद मुस्काएँगे। 

जग में होगी शांति फैली ,
न उदासी का कोई जमघट होगा।
जो मन में राम करेंगे वास , 
तो फिर बंद ये रावण दहन होगा। 


---------ऋतु अस्थाना 


Wednesday, 14 October 2015

दिलों में सब के रौशनी हो


दिलों में सब के रौशनी हो



जलाएँ दिए ऐसे, घरों में ही नहीं,
 दिलों में सब के रौशनी हो। 
 पराए दुःख को भी अपना समझना,
जो राहें दिल को दिल से जोड़नी हों। 

अँधेरा फासलों का ये बढ़ता जा रहा है ,
हर रिश्ता अब सिमटने सा लगा है। 
 मगन हैं  भरने में अपने सब सुख की झोली ,
प्यार का सागर भी अब घटने लगा है।

आपसी रंजिशों को क्यों न भुलाकर,
दिलों में प्रेम का दीपक जलाकर।
 किसी के रास्ते में गम न आए,
  करें कोशिश किसी के हम काम आऐं । 

अँधेरा और न फिर ठहर पाएगा ,
जब दिल सभी के एक होंगे। 
मिटेंगे फासले जब धर्म जाति के ,
 दिए फिर इस धरा पर कम न होंगे । 


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Monday, 12 October 2015

पानी यदि सफलता है



पानी यदि सफलता है




पानी यदि सफलता है,
    तो जीवन को उत्साह से भर लो,
     तन, मन को तुम ज्ञान से भर लो। 
   गति समय की बड़ी मतवाली ,
     कस कर समय की डोर पकड़ लो। 

जीवन डगर बड़ी ही मुश्किल ,
गीता का उपदेश समझकर,
कर्मों की पहचान है कर लो। 
लगा कर हौसलों के पंख तुम ,
सच्ची लगन की राह पकड़ लो। 

समय बड़ा ही बलशाली है ,
यूँ चुटकी में जाता है बीत,
सिखाता पल-पल हमको सीख। 
बना है  रंक कभी राजा  ,
कभी तो मांगे राजा भीख। 

सफलता उन्हीं को मिलती है,
लक्ष्य को पाने की धुन में,
जो रात-दिन एक करते हैं।  
जो सपनों में नहीं खोते,
और न किस्मत को ही रोते हैं।  


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------Ritu Asthana


Friday, 9 October 2015

कोई तो रास्ता ऐ मेरे मालिक दिखा दे।






कोई तो रास्ता ऐ मेरे मालिक दिखा दे। 






कोई तो रास्ता ऐ मेरे मालिक, दिखा दे। 
शम्मा प्रेम की  दिल में, उनके भी जला दे। 

नजर उसमें है आता, ऐ खुदा ,अब तू ही तू है । 
अब वो ही मेरी किस्मत है , मेरी वो  जुस्तजू है । 

नाम उन के जब से लिखी , ये जिंदगी है । 
होती नहीं इस दिल से , तेरी अब बंदगी है ।

दिल को चैन आता है, जब  इबादत उसकी करता हूँ। 
उसी के नाम पर जीता, नाम पर उस के ही मरता हूँ ।  

दिल के आशियाने में , रोज़ उनको बैठा कर। 
सजदा किए दिन रात, उनकी हर अदा पर।

गुनाह मैं आज ये करता हूँ, करता ही रहूँगा। 
उसी के नाम पर मरता हूँ, औ मरता ही रहूँगा। 

गुनाहों की भी सजा में,  जो भी मेरा हश्र होगा। 
कि एक रोज़ तो  पत्थर, पिघलकर  मोम  होगा। 

मंदिर का घंटा बजाऊँ, या कभी मस्जिद में जाऊँ। 
किसी भी धर्म को पूजूँ, खुदा  तुझको मनाऊँ। 

कोई तो रास्ता ऐ मेरे, मालिक दिखा दे। 
शम्मा प्रेम की  दिल मेंउनके  भी जला दे। 

कोई तो रास्ता ऐ मेरे, मालिक दिखा दे। 
शम्मा प्रेम की  दिल में , उनके  भी जला दे। 







Saturday, 3 October 2015

जादू ये कैसा छा रहा है।


जादू ये कैसा छा रहा है। 


जादू ये कैसा छा रहा है,
कोई चुपके से मन में,
 समा रहा  है।

जिसकी सूरत निगाहों से,
 हटती नहीं।
जिसकी मूरत सलोनी ,
  बिसरती  नहीं।

 किसी  रौशनी की ,
 अब है मुझको  क्या जरुरत।
जब अंधेरों में दिया बन ,
 तू जगमगा रहा है।

जादू ये कैसा छा  रहा  है,
कोई चुपके से  दिल में,
 समा रहा  है।

तड़पती आत्मा ये मेरी ,
 दर्शन को है प्यासी।    
 भर के प्रेम की मटकी , 
 खोज में वन वन भटकी।

सांवरे तू मुझमे में ही,
सदा से बसता रहा है। 
समझ ये बावला मन,
 क्यों नहीं पा रहा है।  

जादू ये कैसा छा रहा है ,
कोई चुपके से मन  में ,
 समा रहा  है।





Thursday, 1 October 2015



मत कर  पापी तू गर्भपतन।




हर घर की शान,
और होंठों की मुस्कान है, 
बेटी।

माँ के दिल का अरमान,
 औ पिता की जान है,
बेटी।

ईश्वर का दिया एक सुन्दर,
गले का हार है ,
बेटी।

माँ का दर्द समझ स्नेह का,
मलहम  लगाती  है ,
बेटी।

पिता के हौसलों को और भी, 
बुलंद बनाती है, 
बेटी।

हर एक घर को स्वर्ग सा, 
सुन्दर बनाती है, 
बेटी।

ससुराल में परायों को भी,
 अपना बनाती है, 
बेटी।

हर दर्द को चुपके से कभी,
पी जाती है 
बेटी। 

बदकिस्मत हैं जो कहते, 
कि एक बोझ है,
बेटी।

बेटी कोई बोझ नहीं,
बल्कि बोझ उठाती है,
बेटी।

  माँ सा आँचल कभी तो, 
कभी स्नेह का धागा है ,
बेटी। 

निर्मल जल की धारा सी,
हर मायके का अभिमान है.
बेटी। 

ससुराल की शान और,
एक बाबुल की पहचान है,
बेटी।

बेटी को ना बोझ समझ, 
ये तो  है अनमोल रतन। ये तेरा मान बढ़ाएंगी ,
मत कर  पापी तू गर्भपतन।