Wednesday, 15 April 2015

एक बार कहा होता




दिल्ली का एक कॉलेज है। आज कॉलेज का पहला दिन है। विजय अपने दोस्तों के साथ कॉलेज आता है। उसके सभी दोस्त फ्रेशर्स की रैगिंग करना चाहते हैं।
टोनी, "चलो सभी लोग लाइन में खड़े हो जाओ और एक-एक कर के अपना इंट्रोडक्शन दो। "
एक-एक कर के सभी लड़के-लड़कियों ने अपना इंट्रोडक्शन दिया।
प्रिया डर के मारे कांप रही थी। तभी किसी ने बुलाया,"आपको अलग से निमंत्रण देना होगा क्या ?"
प्रिया सकपका कर आगे बढ़ गई और बोली, "मेरा नाम प्रिया है और मै कश्मीर से यहाँ पढ़ने आई हूँ।"
टोनी, "और हम सब यहाँ क्या करने आए है हा हा हा क्यों दोस्तों ?"
सारे लड़के लड़कियां हंसने लग जाते हैं और प्रिया वहां से चली जाती है।"
विजय उत्तर प्रदेश के शहरकानपुर से आया है।  वो बहुत ही शर्मीला है। टोनी उसका चचेरा भाई है जो ठीक उससे उल्टा है। क्योंकि टोनी शुरू से ही दिल्ली में रहा है इसलिए वो अपने को यहाँ का राजा समझता है।
विजय को प्रिया बहुत अच्छी लगती है। वो किसी ना किसी बहाने से उसे देखता रहता है।
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आज फ्रेशर्स की पार्टी है।
विजय बोलता है,"टोनीपता नहीं क्यों मुझे प्रिया बहुत अच्छी लगती है।  लेकिन मुझे उससे बात करने की हिम्मत ही नहीं होती है। "     
टोनी, "अरे यार विजय अब जमाना बदल गया है। तू उससे बात कर ले मुझे नहीं लगता कि वो बुरा
मानेगी। ज्यादा से ज्यादा ना ही तो करेगी। चल आज मै तेरी बात कराता हूँ। "
टोनीविजय को लेकर सीधे प्रिया के पास जाता है। टोनी खुद भी प्रिया की सुंदरता देखकर अचंभित रह जाता है। मन में सोचता है कि मैंने क्यों नहीं पहले सोचा पर अब क्या कर सकता हूँ। 
टोनी, "हाय प्रिया! कैसी होनया कॉलेजनए लोग कैसे लगे ?"
प्रिया चहककर कहती है, "हेलो टोनी सर।"
टोनी बीच में ही बोलता है, "अरे सर वर की जरूरत नहीं है।
प्रिया, "मुझे यहाँ बहुत ही अच्छा लग रहा है टोनी स। अच्छा ठीक है सर नहीं टोनी। "
टोनी, "इनसे मिलो ये हैं विजय दीनानाथ चौहान।  नाम तो सुना ही होगा।  हा हा हा। "
विजय, "क्या बोल रहे हो मै तो विजय शर्मा हूँ। ये दीनानाथ चौहान कौन है ?"
सभी लोग हंसने लगते है और विजय कुछ समझ नहीं पाता है।
प्रिया अपनी हंसी दबाते हुए बोलती है, "हाँ तो विजय, कुछ काम था मुझसे ?"
विजय, "मै तुमसे दोस्ती करना चाहता हूँ। क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी ?"
प्रिया, "विजय देखो मै यहाँ नई हूँ। कौन कैसा है, मुझे अभी कुछ पता नहीं है। पहले मुझे थोड़ा सेट हो जाने दो फिर देखते है कि किससे दोस्ती करनी हैतुम बुरा मत मानना विजय।"
विजय, "अरे नहीं नहीं।ऐसा कुछ नहीं है। अच्छा हम चलते हैं। तुम पार्टी एन्जॉय करो।"
टोनी, "विजय तुम भी हद करते हो यार। अरे लड़की अपने लेवल की ढूंढने चाहिएना कि आसमान की अप्सरा। अपने को जरा आईने में देखो और उसे देखो।  कितना फर्क है दोनों में। कोई और लड़की ढूंढो मै दोस्ती करा दूंगा। "
विजय को बड़ा दुःख होता है। पर वो अपने दिल का दर्द किसी को बता नहीं सकता था।
प्रियाटोनी से बहुत ही इम्प्रेस्सड थी। उसे लगता था कि अगर टोनी जैसा कोई दोस्त हो तो सब पर रौब
पड़ेगा।
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एक दिन विजयटोनी और उनके दोस्त मोटरसाइकिल की रेस कर रहे थे। तभी प्रिया और उसकी सहेलियां भी वहां आ गई।
टोनी ने कहा ,"लड़कियों हिम्मत है तो हमारे पीछे बैठ जाओ। "
प्रिया ये मौका हाथ से गंवाना नहीं चाहती थी। वो जल्दी से टोनी के पीछे बैठ गई। टोनी बहुत ही खुश हो गया। प्रिया ने धीरे से टोनी का कन्धा पकड़ लिया।
विजय ये सब देख रहा था। उसका खून खौल रहा था पर वो कुछ नहीं कर सकता था। तभी एक कोमल से हाथ के स्पर्श ने विजय को चौंका दिया।
ये और कोई नहीं राधा थी। राधासाउथ इंडिया से दिल्ली में पढ़ने आई थी। देखने में वो अति आकर्षक थी। और सबसे सुन्दर थी उसकी वो बोलने वाली हिरणी की तरह चमकने वाली दो आँखें। जिन आँखों पर कभी किसी ने ध्यान ही नहीं दिया क्योंकि उसका रंग थोड़ा सांवला था।
राधा,"क्यों विजयमै बैठ सकती हूँ न तुम्हारे साथ ?
विजय ने आजतक किसी का दिल नहीं दुखाया था तो आज कैसे दुखाता ?
विजय, "हाँ हाँ बैठ जाओ। "
राधा, "प्रिया को देख रहे हो ?"
विजय ,"हाँ ,पर तुम्हे कैसे पता ?"
राधा, "मुझे सब पता है कि तुम प्रिया को कितना पसंद करते हो। पर वो तो तुमसे बात भी नहीं करना
चाहती।  है ना ?"
विजय, "हाँ मै उतना स्मार्ट नहीं हूँ शायद इसीलिए। "
राधा, "विजय ये केवल आकर्षण है प्यार नहीं। जो तम्हारा मोल समझेगा वही तुम्हे जी जान से प्यार करेगा। तुम्हे अपनी पढाई पर ध्यान देना चाहिए। हाँ तुम चाहो तो मै तुमसे दोस्ती करने को तैयार हूँ।
विजय ,"हाँ शायद तुम सच कह रही हो। ये प्यार नहीं मात्र आकर्षण है। हाँ, तुम एक समझदार लड़की होमै तुमसे दोस्ती करूंगा। "
और रेस शुरू हो गई। हमेशा की तरह टोनी ही जीता।
लेकिन विजय अब दुखी नहीं था। उसे एक समझदार दोस्त जो मिल गई थी।
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एक दिन विजय ने देखा प्रिया बहुत उदास है। पर उसने सोचा कि मुझे क्याटोनी ही पूछेगा। प्रिया टोनी को ही ढूंढ रही थी।
प्रिया, "टोनी तुम मेरे साथ कश्मीर चलोगेमेरी माँ की हालत बड़ी ख़राब है। "
और टोनी उसके साथ चला गया। कश्मीर के नाम से विजय चौकता है। तभी राधा वहां आ जाती है।
राधा, "विजय क्यों ना प्रिया का कमरा एक बार चेक कर लिया जाए। मुझे तो डर है कि टोनी कहीं किसी मुसीबत में ना फंस जाए। चलो जल्दी करो। "
विजय ,"चलो पोलिस में खबर कर देते हैं। "
राधा पुलिस के नाम से डर जाती है, "पुलिस में क्यों?"
विजय ,"तो फिर कैसे बचाएंगे टोनी को?"
राधा," तो ठीक है ना।टोनी को अपने किये का फल मिलने दो। उसने कई बार तुम्हारा मजाक उडाया है। उसने प्रिया को भी तुमसे छीना है। मरने दो उसे।"
विजय, राधा का ये नया रूप देखकर हतप्रभ रह जाता है।  उसे विश्वास ही नहीं होता कि ये वही राधा है जिससे उसने दोस्ती की थी।
विजय अकेले ही सब पता लगाने का प्रयास करता है। अब वो अपने कामों की जानकारी राधा को भी नहीं देता है।
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अचानक एक दिन उसे ख्याल आता है कि क्यों ना राधा के रूम की जांच की जाए। राधा के कॉलेज जाने के बाद विजय चुपके से उसके रूम में जाता है।
राधा की किताबों से उसे अपनी फोटो मिलती हैं। और एक फोटो जिसमे उसने प्रिया को क्रॉस कर रखा था। विजय को धीरे धीरे सारी सच्चाई समझ में आ जाती है। पर टोनीउसने क्या बिगाड़ा था ?
तभी उसे किसी के आने की आहट होती है और वो पलंग के नीचे छिप जाता है।
राधा अंदर आती है और जल्दी से अपना दरवाजा बंद कर लेती है। अपना लैपटॉप ओन करके स्काइप चलाती है। राधा अपने मोबाइल से एक फ़ोन करती है।
राधा, "रघु मोबाइल का स्काइप ओन कर और जरा मुझे लैला की फोटो तो दिखा। देखूं तो क्या हाल हैं ?"
सामने प्रिया और टोनी बैठे हैं। दोनों के हाथ बंधे हुए है।
टोनी, "राधा हमें छोड़ दो। क्या बिगाड़ा है हमने तुम्हारा ?"
प्रिया, "राधाविजय अब तुम को ही चाहने लगा है।यही चाहती थी ना तुम। देखो तुमने जो-जो कहा मैंने सब वही किया पर प्लीज़ विजय को कुछ मत करना।  वो बहुत ही नेकदिल और सीधा लड़का है मै उसे।
राधा गुस्से से कहती है,प्रियातुमनेविजय को छोड़ा नहीं है मेरे लिए बल्कि मैंने उसे अपनी अक्लमंदी से पाया है। तुम कहती हो कि तुम उससे सच्चा प्यार करती होपर सच्चा प्यार करने वाले इतने कायर नहीं होते जितनी तुम निकली।एक बार मैंने कह क्या दिया कि मैं विजय को मार दूँगीतुम तो डर से मेरा कहा मानने लग गई। इसे प्यार नहीं बेवकूफी कहते हैं समझी। "
विजय समझ ही नहीं पा रहा था कि जो कुछ देर पहले की घटना थीवो सच थी या जो अभी सामने हो रहा है वो। उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई उसकी सादगी से भी इतना प्यार कर सकता है। उसकी आँखों से आंसूगंगा-जमुना की तरह बहने लगे। उसे होश ही नहीं रहा कि कब वो राधा के सिस्टम के सामने पहुँच गया और प्रिया को निहारने लगा।
विजय, "प्रिया, एक बार कहा होता। इतना प्यार करती रही और मुंह से कभी कुछ नहीं कहा। खुद ही
सारे दुःख सहन करती रही पगली। "
प्रिया, "विजय !!! तुम यहाँ ?लेकिन जरा संभल कर। "
राधा का प्लान अब फेल हो चुका था इसलिए वो गुस्से से पागल हो रही थी।उसने विजय को अपनी बाहों में भरते हुए कहा, "विजय देखो ये सब भूल जाओ।मै एक अच्छी लड़की हूँ।मै उन सबको छोड़ दूँगी।मै तो पिछले दो साल से केवल तुम्हे ही चाहती हूँ और जब से ये नई लड़की आई हैतुम इसके दीवाने बन गए। बस इसीलिए मैंने ये सब किया। "
विजय, "पिछले दो साल सेलेकिन हमारी तो कभी बात भी नहीं हुई बल्कि मै तो तुम्हे जानता भी नहीं था।"
राधा,"अच्छा अब तो जान गए हो। मुझसे प्यार करते हो ना ?"
कहकर वो विजय के गले लग गई। उधर स्काइप से टोनी ने उसे आँख मारी तो विजय को समझ आया कि अब आगे उसे क्या करना है।
विजय ने उसका हाथ पकड़ा और बोला, "सच में राधातुम बहुत अच्छी हो। तुम्हारी आँखें मुझे सबसे ज्यादा पसंद हैं बिलकुल हिरणी जैसी। अच्छा अब तो इन लोगों को छोड़ दोअब तो मै सिर्फ तुम्हारा हूँ, सिर्फ तुम्हारा। "
राधा कुछ सोचते हुए बोली , "विजय मै तुम पर  विश्वास कर भी लूँपर मुझे डर है कि प्रिया को देखते ही तुम बदल ना जाओ। ऐसा करती हूँ उसे मार ही देती हूँ। फिर हम दोनों प्यार से रहेंगे। "
विजय कहता है ," चलो ऐसा करते हैं कि उन के सामने ही शादी कर लेते हैं। फिर तो तुम्हे कोई चिंता नहीं होगी ?"
राधा को उसका ये आईडिया पसंद आता है।
विजय, "राधा तुम तैयार होकर वहां पहुँचो मै पंडितजी और बाकी सामान लेकर वहीँ आ जाऊंगा। "
राधा मान  जाती है। वो विजय को वहां का पता बता देती है।
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विजय जल्दी से पोलिस स्टेशन फोन करता है और उन्हें सारी  स्थिति बताता है। और अपने दोस्तों को भी वहीँ बुला लेता है।
राधादुल्हन की तरह सजकर जंगल के एक पुराने किले में जाती है। जहाँ पर उसने टोनी और प्रिया को कैद कर रखा है।
अपने हाथों में पकडे हुए चाकू से दीवार पर लिखती है, विजय + राधा
राधा, "देखो हमारा नाम कितना अच्छा लगता है साथ -साथ। "
राधा पुराना गाना  गुनगुनाती है ,"मै तेरे प्यार में पागल। "
टोनी किसी तरह अपने हाथ खोलने में सफल हो जाता है। लेकिन सही अवसर के इन्तजार में वैसे ही बैठा रहता है।
टोनी, "राधामुझे अब भी ये समझ नहीं आया कि तुमने मुझे क्यों पकड़ा ?मतलब मेरा तो इस प्रेम कहानी से कोई सरोकार नहीं है। "
राधा, "अगर तुम  बाहर होते तो शायद मै विजय को बेवकूफ नहीं बना पाती। तुम से ही पूछकर वो सारे
काम करता है। "
तभी विजय तेजी से अंदर आता हैं। उसके साथ पंडित को ना देखकर वो कुछ समझ जाती है और प्रिया के गले पर अपना चाकू रख देती है।
टोनी फुर्ती से उठकर एक जोरदार तमाचा राधा को मारता है। चाकू दूर जा गिरता है।
टोनी, "विजय मै  इसे संभालता हूँ तुम प्रिया को खोलो। "
विजय जल्दी से प्रिया को खोलता है और उसे गले लगा लेता है। दोनों बहुत रोते हैं।
विजय, "प्रियाएक बार कहा होता। इतना कमज़ोर समझ लिया तुमने मेरे प्यार को। माना कि मैंने तुमसे बात करना कम कर दिया था पर ये कमबख्त दिल केवल तुम्हारे नाम से ही धड़कता है प्रिया ,सिर्फ तुम्हारे नाम से प्रिया। "
राधा चीखते हुए, "विजय ये तुमने ठीक नहीं किया। तुमने फिर से मुझे धोखा दिया हैफिर से। "
तभी पोलिस और डॉक्टर दोनों आ जाते हैं।
विजय,"देखो राधा तुम एक अच्छी लड़की हो बस तुम्हे थोड़े इलाज की जरूरत है। फिर तुम जल्दी ही ठीक हो जाओगी। हम सभी तुम्हारे दोस्त हैं। "
पोलिस वालों से उनकी गन छीनकर राधा प्रिया को मारने की कोशिश करती है और गोली चला भी देती है तभी विजय उसके सामने आ जाता है और गोली विजय को लग जाती है। विजय का प्रिया के लिए इतना प्यार देखकर राधा गुस्से में अपनी कनपटी पर गोली मार लेती है और मर जाती है।
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अस्पताल में विजय का ऑपरेशन हो रहा है। उसके घर वाले भी आ जाते हैं।
प्रिया बहुत ही घबरा रही है।
विजय का ऑपरेशन सफलता से हो जाता है।
विजय को जब होश आता है तो वो प्रिया और टोनी दोनों से मिलना चाहता है।
विजय,"पिछले कुछ दिनों से जिंदगी किसी फिल्म की तरह चल रही है। पर मै सब कुछ जानना चाहता हूँ ,इसके पहले कि कुछ और नया हो। "
प्रिया, "ठीक है सब बताती हूँ। "
बात उस दिन की है जब पार्टी में तुम दोस्ती का ऑफर लेकर मेरे पास आए थे।
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प्रिया हँसते हुए, "बेचाराचला गया। किसी को दुःख पहुँचाना मुझे पसंद नहीं पर मै दोस्ती कैसे कर सकती थी।  मै तो उसे जानती तक नहीं। "
तभी किसी की आवाज़ ने उसे चौंका दिया,"और जानने की कोशिश भी मत करना समझीं। "
ये थी राधा।
राधा, "प्रिया तुम इतनी सुन्दर हो और वो बिलकुल सिंपल।  तुम समझ रही हो ना।  तुम्हारे साथ तो कोई स्मार्ट लड़का ही होना चाहिए। विजय से दूर रहना। "
प्रिया थोड़ा डर गई। पर उसकी बाकी सहेलियों ने कहा कि राधा की बातों पर ध्यान न दे।
और एक दिन तो हद ही हो गई।  प्रिया अपने बर्थडे पर सभी को बुलाना चाहती थी। पर राधा के डर से उसने उन्हें नहीं बुलाया।
राधा मानो प्रिया पर ही नजर रखे थी और उसे पता चल गया कि प्रियाविजय को पसंद करने लगी है। तो उसे, विजय को मारने की धमकी देकर उलटे काम करवाने लगी।
जब उसे लगा कि विजय उसको अपना दोस्त नहीं बना रहा है तो उसने प्रिया को अपने रास्ते से हटाने का प्लान बनाया।
एक दिन टोनी और प्रिया को वो अपना फार्म हाउस दिखाने के बहाने से जंगल ले गई और रास्ते में नशे वाली कॉफ़ी पिलाकर उन्हें बेहोश कर दिया। फिर उन्हें उस घर में कैद कर दिया।
प्रिया, "इसके आगे तो तुम जानते ही हो विजय दीनानाथ चौहान!!!!!! "
तीनो दोस्त खुलकर हंसने लगे।
टोनी ,"अरे भाई मै तो चलातेरी तो पट गई पर मेरा काम अभी बाकी है। "
प्रिया भी बाहर जाने लगी तो विजय ने उसका हाथ पकड़ लिया।
प्रिया की आँखों में आंसू थे।
विजय कुछ बोलता तभी प्रिया ने उसे चुप करा दिया और उसकी आँखों में झांककर बोला," एक बार कहा होता । विजय ने उसे गले लगा लिया और बाहर खड़े सभी घरवाले ख़ुशी से रोने लगे।


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