आज भी हर हिंदुस्तानी के मन को किस्से, कहानियां, कवितायेँ और शेरो शायरी कहीं न कहीं छू जाती हैं। बचपन से ही हम दादी नानी से किस्से कहानियां सुनते सुनते ही बड़े हुए हैं। मैंने आपको ब्लॉग में कुछ कहानियां, कुछ कवितायेँ सुनाईं। अब बारी है शेरो शायरी और गीतों की। उम्मीद है पसंद आएगी ।
न जुदा हो जैसे फूलों से खुशबू ..
उम्र भर महकेगा रिश्ता हमारा।
शबनमी ओस सा खूबसूरत..
लहकेगा नाज़ुक ये बंधन हमारा ।
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देखिये हमसे रूठ के न यूँ जाईयेगा..
दिल जो नाज़ुक टूटा, न
जोड़ पाईएगा।
चाँद भी रूठा है चाँदनी से कभी ..
हम जो रूठे तो किस तरह मनाइएगा ।
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कागज़ पे लिखे अल्फ़ाज़ गवाह हैं ..
ये सूरज, ये चाँद तारे
गवाह हैं ।
नाम लिख दी तेरे ज़िंदगानी ..
आती जाती हुई ये साँसें गवाह हैं।
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न वादे हैं न कसमें हैं ..
न बंधन है न रस्में हैं ।
ये दिलों की दोस्ती है जनाब ..
इसके अपने ही जज़्बे हैं ।
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ख्वाब में चले आओ तो मुलाक़ात होगी ..
रूबरू न सही दिल से बात होगी।
करते हैं लाख कोशिश पलकें हम मिलाने की ...
गर नींद ही न आए तो आसुओं से भीगी रात होगी।
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बेशकीमती हैं ये मोती ..
पलकों में इन्हें सजा लेना।
भर देना इनके घाव सभी..
प्यार का मलहम ज़रा लगा देना।
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ये आशिक चीज़ कमाल की हैं..
बड़ा मोहब्बत का ये दम भरते हैं।
पहले ख़यालों में कब्ज़ा करते हैं..
फिर भूल जाने की बातें करते हैं ।
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तेरी हथेली पे ऐ सनम ..
अपना नाज़ुक सा ये हाथ रख दूँ ।
अपना नाज़ुक सा ये हाथ रख दूँ ।
तू कहे तो ज़िंदगी क्या ..
रूह तक नाम तेरे कर दूँ ।
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दर्द ऐ मोहब्बत की दवा कर लो ..
दर्द से अपने मोहब्बत कर लो ।
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ये लफ्जों का रिश्ता..
ख़यालों का रिश्ता ।
ये सवालों के उलझे..
जवाबों का रिश्ता ।
बड़ा अजीब है ये देखिये..
न ज़ोर से बनता है ..
न जबर्दस्ती से ।
दिलों का रिश्ता है साहब
बनता है ये तो नसीब से ।
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किसी की दुआओं का कुछ तो असर हो रहा है..
के संवर रही है अब ज़िंदगी।
संभली हैं हसरतें बेबस, .
अब तो तकदीर को भी सबर हो रहा है।
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तेरे हाथों में हाथ नहीं तो क्या ..
ज़िंदगी में साथ नहीं तो क्या।
डूबती है हसरतों की कश्ती तो डूबे।,
आशिकों को मंज़िल न मिली भी तो क्या ।
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देखो ज्यादा बातें तुम बनाया न करो,
जल जाते हैं लोग शायरी की कसम।
लफ्जों ने की है आशिकी जब से,
कलम भी देखो अब इतराने लगी है ।
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लफ्जों की माला में एहसास पिरोए..
नगमों में नहीं बिछोड़े हैं ।
नादान बड़ा ये दिल साहेब..
ख्वाबों में रिश्ते जोड़े हैं ।
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सजदे में जब सिर झुक जाता है,
बहके से कदम भी रहते हैं ।
दुआओं में हो जब उसी का ज़िक्र,
उसे लोग मोहब्बत कहते हैं॥
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नहीं आती मुझे ऐ साथी मोहब्बत की ये पढ़ाई-वढ़ाई..
बस इतनी खबर है.. तेरी साँसो से बंधी मेरी साँसो की
डोर ।
खींचती है एक तेरी ओर..रहने दे क़दमों में, है यहीं मेरी रिहाई
।
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मुझे मंज़िल नहीं साहेब..
वो रास्ते अज़ीज़ हैं ।
जो उन तक जा पहुंचें..
वो जो दिल के बेहद करीब हैं ।
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वो कहते हैं,
कातिलाना है तेरी नज़र ..
नज़रें वो मिलाएँ तो पता चले ।
मुझे चाँद कहने वाले ..
अपना मुझे बनाएँ तो पता चले ।
--- ऋतु अस्थाना
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