चलो चलें उस ओर चलें।
चलो चलें उस ओर चलें।
जहाँ आशाओं के दीप जलें।
सपनों का जहाँ बिछौना हो,
उम्मीदों की चादर ताने ,
दिल दरिया बन बेधड़क बहें,
जहाँ तारों की बारात चले।
मुट्ठी में सूरज भरने को,
बादल पर ऐसे पाँव चलें।
चलो चलें उस ओर चलें।
जहाँ आशाओं के दीप जलें।
ये ज़िद है हार ना मानेंगे,
मुश्किल को धूल चटा देंगे।
गर नहीं लकीर है हाथों में ,
तो खुद किस्मत चमका देंगे।
बंजर में फूल खिलाने को ,
पलकों में सपनें लाख पलें।
चलो चलें उस ओर चलें।
जहाँ आशाओं के दीप जलें।
तूफानों की परवाह नहीं ,
नदिया की बेसुध धार नहीं।
रस्ते भले ही मुश्किल हों,
मानेंगे हर्गिज़ हार नहीं।
हिम्मत अपनी को देख-देख ,
देखो दिल पत्थर का पिघले।
चलो चलें उस ओर चलें।
जहाँ आशाओं के दीप जलें।
जोश को हम पहचान बना लें ,
उम्मीदों को ढाल बना लें।
ऊंचे पर्वत गहरी है खाई ,
चल अपने रस्ते आप बना लें।
अपनी मेहनत के बल चल।
मायूसी का रंग बदल लें।
चलो चलें उस ओर चलें।
जहाँ आशाओं के दीप जलें।
----ऋतु अस्थाना
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