चलो साथी मिलकर कुछ करते हैं।
जब हम सब को अपना समझें,
उनके दर्द को अपना दर्द समझें।
तो मन में कुछ करने की ललक होगी ,
और यही से हमारी शुरू यात्रा होगी।
क्या उम्मीद किसी और से करें हम ,
रोते के आँसू भी ना पोंछ पाए गर।
अपने लोगों का दर्द बाँटते हुए ,
चलो साथी मिलकर कुछ करते हैं।
तमाशबीन बने रहने से हासिल कुछ नहीं होगा,
झल्लाने और बड़बड़ाने से भी भला कुछ नहीं होगा।
जब आगे आकर हम अपना हाथ बढ़ाएंगे ,
तो शक नहीं कि सौ हाथ भी इनसे जुड़ जाएंगे।
कंधे उचका कर अब तक जो आगे बढ़ जाते थे ,
अब रुक कर समस्या की तह तक जाना है।
न मेरा है न तेरा है , ये देश तो हम सबका है।
ऐ दोस्तों !वतन के खातिर कुछ फ़र्ज़ भी निभाना है।
सबका दर्द आओ मिल बांटते हैं ,
चलो साथी मिलकर कुछ करते हैं।
न मेरा है न तेरा है , ये देश तो हम सबका है।
ऐ दोस्तों !वतन के खातिर कुछ फ़र्ज़ भी निभाना है।
सबका दर्द आओ मिल बांटते हैं ,
चलो साथी मिलकर कुछ करते हैं।
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