Tuesday, 22 March 2016

Holi


श्याम ने ऐसा रंग डाला




होली के शुभ दिन पर,
जब राधा का मन हर्षाया।
कान्हा को रंगने का तब,
प्यारा सा एक रंग बनाया।
निकली सब सखियो संग ,
भर के पिचकारी में रंग।
मुस्काते आए मोहन टोली संग ,
राधा पहले से तैयार।
आज कान्हा को रंगना है ,
प्रेम से उन्हें भिगोना है।
तभी राधा घबराई  ,
ये कैसी बेला आई।
पिचकारी छूटी हाथों से ,
गिर गया सारा गुलाल।
कुछ भी समझ न आया ,
हो गई शर्म से वो लाल।  
सुध- बुध सब कहाँ गंवाई ,
ज्यों  श्याम ने पकड़ी कलाई।
भीग कर खुद सराबोर हुई ,
कृष्ण के रंग में भीगी ,
और भाव विभोर हुई।
भूली सब उसने जो ठानी थी ,
ये तो प्यारी राधा दीवानी थी।
श्याम ने ऐसा रंग डाला,
अपने ही रंग में रंग डाला।
अपने ही रंग में रंग डाला।


## ऋतु अस्थाना ##

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