फिल्म जगत के महानायक श्री शशि कपूर जी पंचतत्वों में विलीन हो गए। पर वो सदा अमर हैं। आज भी उनकी नटखट छवि और मन मोहक अदा सभी को मोहित कर जाती हैं, आज भी वो दिलों के राजा साब हैं । "परदेसियों से न अँखियाँ मिलाना ", कह गए शशि जी और आज खुद परदेसी हो गए और हमें अपनी सुनहरी यादों के सहारे छोड़ गए। शशि जी, आप एक अमिट निशान बनकर हमारे दिलों में सदैव राज करेंगे। हम आपको भाव-भीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
"हम तो झुककर सलाम करते हैं" ,
तुमको सादर प्रणाम करते हैं।
तुमने प्यार का रास्ता दिखाया ,
है "सत्यम शिवम् सुंदरम" बताया।
अब होगी न "दीवार" दरम्यां कोई ,
प्यार का "सिलसिला" चलाया ।
"जूनून" होगा अपनेपन का और ,
दुःख का न कोई "उत्सव" होगा।
"जब जब फूल खिलेंगे" जग में,
इस गुलशन को महकाएँगे
पुराने पिटारे से यादों की
हम तुम्हे निकाल के लाएंगे।
तुम "कलयुग" के "विजेता" हो ,
"शान" से जिया वो "धर्मपुत्र" हो।
शिव जी का हो "त्रिशूल" कभी ,
कभी भोलेपन का "बसेरा" हो ।
"राजा साब" हो "कभी कभी "
इस माँ के "नमक हलाल" कभी ,
रोता सबको तुम छोड़ चले।
जग "बंधन कच्चे धागों" का
तुम "पतंगा" बन तोड़ चले।
"शर्मीली" मौत ने दस्तक दी,
हो गया शुरु "सुहाना सफर" .
हंसकर उसे भी दुलराया
"आ गले लग जा" कह
उस पर भी मुस्काया ।
अब न बहार लौटके आएगी
न उस तरह से गोरी शर्माएगी
न दिल मचलेगा देख तुम्हे
दिल का "चोर मचाएगा शोर नहीं" .
चिर निद्रा में सोए हो तुम
कहा तुम जिओ अब मैं सोने चला
अब "नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे" होंगे
ज़बान पे हमारी फिर वही गीत पुराने होंगे।
हर ज़र्रे पे यादों के मदभरे नज़ारे होंगे
राहों में कदम हमारे और निशान तुम्हारे होंगे।
---ऋतु अस्थाना
No comments:
Post a Comment