Thursday, 31 March 2016

बहाओ इस कदर गर प्यार का तुम झरना।


बहाओ इस  कदर गर प्यार का तुम झरना। 

सच तो ये है कि कोई किसी से नहीं ,
बस खुद से ही करता है प्यार। 
मतलब के हैं रिश्ते सारे , 
मतलब के सब यार। 
गर सच में दिल है मोहब्बत ,
तो क्यों न बांटे जहाँ में। 
बना ले चल इसे ही ईबादत ,
बिखेरे खुशबू हम गुलिस्तां में। 
झोली अगर भर सके तो ,
प्यार की जहाँ पे है जरुरत।
किसी मासूम को मुस्काना सिखाकर ,
पराए को कभी अपना बनाकर।  
अंधेरों में नन्हा सा इक दीपक जलाकर, 
बुझे  मन में किरण आशा की जगाकर। 
किसी रोते के कभी आंसू तो पोंछो ,
सुकून से दामन न भर जाए तो कहना। 
कहोगे ये कौन सी दुनिया में आये ,
अब तो उमर भर यहीं पे है रहना। 
 ना फिर इश्क की तमन्ना औ न आरज़ू होगी ,
बहाओ इस  कदर गर प्यार का तुम झरना। 
  


-------ऋतु अस्थाना 

Tuesday, 22 March 2016

Holi


श्याम ने ऐसा रंग डाला




होली के शुभ दिन पर,
जब राधा का मन हर्षाया।
कान्हा को रंगने का तब,
प्यारा सा एक रंग बनाया।
निकली सब सखियो संग ,
भर के पिचकारी में रंग।
मुस्काते आए मोहन टोली संग ,
राधा पहले से तैयार।
आज कान्हा को रंगना है ,
प्रेम से उन्हें भिगोना है।
तभी राधा घबराई  ,
ये कैसी बेला आई।
पिचकारी छूटी हाथों से ,
गिर गया सारा गुलाल।
कुछ भी समझ न आया ,
हो गई शर्म से वो लाल।  
सुध- बुध सब कहाँ गंवाई ,
ज्यों  श्याम ने पकड़ी कलाई।
भीग कर खुद सराबोर हुई ,
कृष्ण के रंग में भीगी ,
और भाव विभोर हुई।
भूली सब उसने जो ठानी थी ,
ये तो प्यारी राधा दीवानी थी।
श्याम ने ऐसा रंग डाला,
अपने ही रंग में रंग डाला।
अपने ही रंग में रंग डाला।


## ऋतु अस्थाना ##

Monday, 14 March 2016

चलो साथी मिलकर कुछ करते हैं।


जब हम सब को अपना समझें,

उनके दर्द को अपना दर्द समझें।

तो मन में कुछ करने की ललक होगी ,

और यही से हमारी  शुरू यात्रा  होगी।

क्या उम्मीद किसी और से करें हम ,
रोते  के आँसू भी ना पोंछ पाए गर।
अपने लोगों का दर्द बाँटते हुए ,
चलो साथी मिलकर कुछ करते हैं।


तमाशबीन बने रहने से हासिल कुछ नहीं होगा,
झल्लाने और बड़बड़ाने से भी भला कुछ नहीं होगा।
जब  आगे आकर हम अपना हाथ बढ़ाएंगे ,
तो शक नहीं कि सौ हाथ भी इनसे जुड़ जाएंगे।


कंधे उचका कर अब तक जो आगे बढ़ जाते थे ,
अब रुक कर समस्या की तह तक जाना है।
न मेरा है  न तेरा है , ये देश तो हम सबका है।
ऐ दोस्तों !वतन के खातिर कुछ फ़र्ज़ भी निभाना है।
सबका दर्द आओ मिल बांटते हैं ,
चलो साथी मिलकर कुछ करते हैं।