Wednesday, 20 May 2015

ज़िन्दगी काश मेरा यूँ , इम्तिहान न लेती।





ज़िन्दगी काश मेरा यूँ ,
 इम्तिहान न लेती। 




ज़िन्दगी काश मेरा यूँ ,
           इम्तिहान न लेती। 
प्यार में मर मिटे हैं हम,
           हमारी जान न लेती। 

इक दीदार को तरसे हैं नज़रें ,
    तेरे ही प्यार को तड़पें हैं सच में।
कि  सांस ये  चल रही  है पर,
     हाय ये क्या हुआ है। 
नींद अब किसी करवट ,
     बिलकुल न आती। 

ज़िन्दगी काश मेरा यूँ ,
    इम्तिहान न लेती।

No comments:

Post a Comment