Thursday, 8 March 2018

aisi hoti hai nari

ऐसी होती है नारी। 

 निर्मल, कोमल भोली-भाली ,
सबसे न्यारी से है नारी। 
माता, पत्नी कभी सहेली।,
हर रूप निभाती है नारी। 
कवि की कविता में कभी ,
चाँद सी बाला है नारी। 
ख़ामोशी भी बातें करें,
मीठी एक जुबान है नारी। 
प्यार की ईंट से जोड़ो तो ,
सुन्दर एक मकान है नारी।
संभाले कश्ती जीवन की ,
ऐसी एक पतवार है नारी। 
सबला कहो, अबला नहीं,
माँ दुर्गा का अवतार है नारी। 
विष पी के जो अमृत कर दे , 
ऐसा अनोखा धाम है नारी। 
जग की मुश्किल राहों में ,
जीवन का आधार है नारी। 
दिल पत्थर का जो चीर सके। 
निर्मल गंगा की धार है नारी। 
कभी गीता कभी कुरान बनी ,
समझो तो एक किताब है नारी। 
छलके नैनों से नीर भले ,
पर होठों पे मुस्कान है नारी। 
कसैटियों पे न तोलो इसको ,
स्नेहलता की छाँव है नारी।   


------ऋतु अस्थाना 

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