Tuesday, 7 November 2017

KBC को प्रणाम 

भारत के सबसे अधिक लोकप्रिय रियलिटी शो "KBC" की आज विदाई हो गई। श्री अमिताभ बच्चन जी  की आवाज़ और श्री आर डी टाइलिंग जी की लेखनी द्वारा रचित KBC एक ऐतिहासिक शो है जिसका हिंदुस्तान का बच्चा-बच्चा इन्तज़ार करता है। ये पहला ऐसा शो है जिसके माध्यम से कोई भी धर्म,जाति  या बिरादरी का व्यक्ति अपनी बौद्धिक क्षमता एवं ज्ञान के सहारे अच्छी खासी धनराशि प्राप्त कर सकता है।
आज इस शो को हमने भरे दिल से और नम आँखों से विदाई दी। पर निवेदन है कि आप फिर से आएं और फिर से हर घर का टीवी आप की चमक से सुशोभित हो। बहुत बहुत आभार के साथ एक छोटी सी कविता प्रस्तुत है।

सदी के प्यारे महानायक!!
दिल बहुत भारी हो जाता है ,
आँखें जलधार बहाती हैं।
जब तुम कहते हो ख़त्म हुआ KBC ,
जान आधी रह जाती है।
जबसे तुम 9 से 10 :30 तक
 टीवी में आने लगे हो।
तब से तुम सुपर हीरो ही नहीं
हर एक दिल में छाने लगे हो।
वो 9 बजते ही सब काम काज छोड़
रिमोट को कब्ज़े में कर लेना। 
वो उत्साहित होकर हर रोज़
साथ तुम्हारे KBC
घर बैठकर खेलना।
वो कभी तुम्हारा दुखियों को
चुटकी में संभाल लेना।
कभी मन-मोहक मुस्कान से
समां  रंगीन सजा देना।
कभी अपनी मीठी बातों से
लोगों का दिल बहलाना।
तो कभी अपनी अदायगी से
हमें निहाल कर देना।
घर के एक सदस्य हो तुम
याद बहुत ही आओगे।
रहेगा हमें इंतज़ार सदा
वापस KBC में कब आओगे ?
तुम स्वस्थ रहो खुशहाल रहो
काँटा बहन जी साथ निभाएं सदा ।
कंप्यूटर जी बेचैन रहेंगे
बंद रहेगी किस्मत ताले में सदा ।
अब जो गए तो जल्दी आना तुम
न इन्तजार ज्यादा कराना तुम।
बहुतों का उद्धार किया
जीवन उनका सुधार दिया।
पर अबकी हॉट सीट पे
हमको भी बिठाना तुम
किस्मत मेरी भी
एक बार सही
पर जरूर चमकाना तुम।
जल्दी वापस आना तुम।
न ज्यादा तड़पाना तुम।
वादा जरूर निभाना तुम।
याद हमेशा आना तुम। 



----ऋतु अस्थाना






Monday, 6 November 2017

अभी तो शबनमी ओस की बरसात हुई है।






ऐ वक्त थम जा ज़रा ,
न फिसल यूँ रेत की तरह,
अभी अभी तो ज़िन्दगी से मुलाकात हुई है। 
अभी खिली दिल की कली, कुछ देर महक लूँ ज़रा ,
अभी तो शबनमी ओस की बरसात हुई है।  

ताउम्र गुज़ारी घड़ियाँ किसी के इंतज़ार में  ,
खुद से तो खुद की अभी-अभी पहचान हुई है। 
खुद पे हो जाऊँ फ़िदा कुछ देर ठहर जा ज़रा ,
अभी तो दिल के आईने से धूल कुछ साफ़ हुई है।

बेपनाह किया था प्यार उन से हमने ,
अभी तो अपनेआप से कुछ बात हुई है। 
जोड़ने  हैं टुकड़े  वजूद के गर तू साथ दे ज़रा,
अभी तो दोस्ती की नई-नई शुरुआत हुई है। 

 ऐ काश! तुझसे ही होती मोहब्बत पहली नज़र में ,
 मिट गए सारे गिले अब ख्वाहिशों की बरात हुई है। 
अब न भटकेंगे राह थाम तू लेना ज़रा ,
अभी तो निकला है दिन गुज़र रात हुई है। 

खिली है धूप कि अंधेरे छँट गए हैं सारे, 
ज़र्रे-ज़र्रे पे ज़िन्दगी की हासिल करामात हुई है । 
हसरत भरी निगाहों को रौशन हो जाने दो ज़रा, 
अभी-अभी  तो नमी से आँखें आज़ाद हुई हैं। 


------ऋतु अस्थाना