Saturday, 29 October 2016




तू है तो महफूज़ हैं हम


तू है तो महफूज़ हैं हम ,
दम से तेरे  हम ज़िंदा हैं।
वतन के पहरेदार सुनो ,
सुकून से यहाँ हर परिंदा है। 


हम घर में रहे, आबाद रहे ,
तुम  सीमा पे तैनात रहे।
गर हौसला भी हम न सके बढा,
फिर इस जीवन पर शर्मिंदा हैं।


माँ को तूने रोता छोड़ा ,
सजनी को भी तनहा छोड़ा।
बच्चों की आँखों ने बस,
तेरे आने का सपना जोड़ा।


तुझ से ही दीवाली रौशन ,
तुझ से ही अपनी होली है।
ऐ देश के वीर जवान तुम बिन ,
तो सूनी अपनी खोली है। 


वतन की खातिर  तुमने जो ,
जान की बाजी लगाई है।
हमने भी तेरे स्वागत में ,
रंगोली खूब सजाई है।


दुश्मन को मार गिराना तू ,
तनिक नहीं  घबराना तू।
हम हैं  साथ सदा तेरे ,
भारत की शान बढ़ाना तू।


हर ओर "दिया"  तेरी जीत का है ,
हर दिल में दुआएं लाखों हैं।
दिल से है करते सलाम तुझे ,
इस हिन्द का तू  बाशिंदा है।


--------ऋतु अस्थाना 


Friday, 28 October 2016

ज़िन्दगी


ज़िन्दगी  


ज़िन्दगी खूबसूरत होती नहीं ,
बनानी पड़ती है। 
मोती आशाओं के पिरो ये , 
 माला प्यार की  सजानी पड़ती है। 

रूठने मनाने में ही, 
गुज़र न जाए  उम्र कहीं ,
हर खता अपनों की भी कभी ,
हंस के भुलानी पड़ती है।   

जब वक्त रेत की तरह, 
हाथ से फिसल जाता है। 
तो एक बार ज़िंदगी जीने को ,
फिर से जी ललचाता है।  

फ़र्ज़ इंसानियत का,  
कुछ यूँ निभाओ।  
किसी को बनाओ अपना ,
या किसी के तुम हो जाओ।  

 हर ओर अक्स जब अपना ही ,
नज़र आएगा। 
फिर  कोई न किसी का ,
दिल कभी दुःखा  पाएगा।

हर पल  एक त्यौहार है ,
हर दिन दिवाली। 
गर प्यार की दिल में  ,
इक शम्मा जला  ली। 

खिलखिलाओ  तो देखो ,
कितना सुंदर  ये जहाँ है। 
पंख बाजुओं में लगे हैं और ,
ये ज़मीन  आसमान है।  

भुला के शिकवे वो सारे ,
करो दिल से दुआ कि। 
 हों दामन में  सभी के ,
भरे सलमा सितारे।  

बनो दिलदार और ,
मुस्कुराओ बेवजह कि , 
इसकी तो कीमत भी नहीं, 
चुकानी  पड़ती है।  

ज़िन्दगी खूबसूरत होती नहीं ,
बनानी पड़ती है। 
मोती आशाओं के पिरो ये , 
 माला प्यार की  सजानी पड़ती है। 

------ऋतु अस्थाना